अपने भविष्य को जानने की इच्छा सभी के मन में रहती है और इसे जानने का एक मात्र साधन ज्योतिषशास्त्र है। ज्योतिषशास्त्र के कई भाग हैं जिनमें वैदिक ज्योतिष को सबसे प्राचीन माना जाता है। इस ज्योतिष विद्या का नाम वैदिक ज्योतिष इसलिए पड़ा है क्योंकि इसकी उत्पत्ति वेदों से हुई है। वेदों की संख्या चार है जिनमें ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। ऋग्वेद में ज्योतिष से संबंधित 30 श्लोक हैं। यजुर्वेद में 44 और अथर्ववेद में 162 श्लोक मिलते हैं। इतिहासकारों में वैदिक काल को लेकर बड़ा मतांतर है। मैक्समूलर इसे महज 1200 ई. पू. से 600 ई. पू. का मानते हैं। जबकि श्री अविनाश चन्द्र दास तथा पावगी का मत है कि वैदिक काल इससे काफी प्राचीन है। इस मातांतर के बाबजूद ऐसी धारणा है कि वैदिक काल से पहले ही हमारे ऋषियों को ज्योतिष की जानकारी मिल चुकी थी। वे काल गणना और शुभ और अशुभ समय का निर्धारण करना सीख चुके थे।